आज संसद के शीतकालीन सत्र का पांचवां दिन है, और हंगामे की संभावनाएं पहले से ही प्रबल हैं। इस सत्र की शुरुआत 25 नवंबर को हुई थी, लेकिन अब तक कार्यवाही बेहद सीमित रही है। विपक्ष के तीखे विरोध के कारण सदन में कोई ठोस चर्चा या कामकाज नहीं हो सका है। प्रमुख मुद्दों में संभल हिंसा और अडाणी समूह से जुड़े मामलों पर सरकार को घेरने की रणनीति शामिल है। पिछले चार दिनों के दौरान, संसद में औसतन केवल 10 मिनट प्रतिदिन ही कामकाज हुआ है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही हंगामे की भेंट चढ़ गए हैं। महज 40 मिनट में संसद की कार्यवाही चल पाने के कारण महत्वपूर्ण विधायी कार्य भी अटके हुए हैं।
संभल में हुई हिंसा और अडाणी समूह से जुड़े मुद्दे वर्तमान सत्र में विपक्ष के विरोध का मुख्य आधार बने हुए हैं। विपक्षी दल इन मुद्दों पर जवाबदेही की मांग कर रहे हैं। सरकार पर आरोप है कि वह अडाणी मामले की जांच को लेकर गंभीर नहीं है। वहीं, संभल हिंसा पर विपक्ष ने सरकार को कानून व्यवस्था के मोर्चे पर घेरने की कोशिश की है।
लगातार हंगामे के चलते सदन में महत्त्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा नहीं हो पाई है। सरकार ने विपक्ष पर आरोप लगाया है कि वह केवल राजनीतिक लाभ के लिए सदन को बाधित कर रहा है। दूसरी ओर, विपक्ष का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को नजरअंदाज कर रही है। ऐसे में सत्र के अगले कुछ दिनों में भी कामकाज सुचारू रूप से चलने की संभावना कम ही दिखती है।
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