होलिका दहन
इस वर्ष होली का त्यौहार 8 मार्च को मनाया जायेगा। यह त्यौहार हिन्दू धर्म के अनुसार बुराइयों को मिटाने के लिए मनाया जाता है। होली से ठीक एक दिन पहले लोग होलिका दहन मानते हैं। जिसे होलिका दीपक के नाम से भी जाना जाता है। इस बार होलिका दहन को लेकर लोगों में संशय है कि 6 या 7 मार्च आखिर कब मनाया जाए होलिका दहन.... तो आपको बता दें कि 7 मार्च को ही होलिका दहन का पर्व मनाया जाएगा। जिसके शुभ मुहरत, पूजा की सामग्री, पूजा की विधि के बारे में हम आपको बताने वाले हैं।
होलिका दहन कैसे मानते है
छोटी होली के दिन सभी हिन्दू धर्म के लोग अपने घरो के बाहर होली के अलाव को जलाते है। इस दिन लकड़ियों को किसी स्थान एकत्रित करके उनको सफ़ेद धागे से तीन या सात बार लपेटा जाता है और गंगाजल कुमकुम से उसकी पूजा की जाती है। लोग उस स्थान की भी पूजा करते जहा पर होली के अलाव को जलाया जाता है। इसकी मान्यता है की इससे हमारे बुराई पर अच्छाई की जीत होती है।
होलिका दहन की पूजा सामग्री
होलिका दहन की पूजा करने के लिए एक लोटे में पवित्र जल, फूल माला, गाय के गोबर से बनी एक माला, अक्षत, मुंग, गुड़, रोली मोली, हल्दी, बताशे, गुलाल,नारियल, और गेंहू की बलिया होना आवश्यक होता है। इन सभी चीजों का होलिका दहन से पूर्व की जाने वाली पूजा में प्रयोग किया जाता है।
क्या है इस बार का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार होली की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 6 मार्च को हो जाएगा। इसके अतिरिक्त 7 मार्च की शाम तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। वहीं, इस वर्ष 6 मार्च शाम 4 बजकर 48 मिनट से भद्रा काल लग रहा है जो अगले दिन 7 मार्च सुबह 5 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। पौराणिक मान्यतानुसार भद्रा काल के दौरान होलिका दहन नहीं किया जाता है। कहते हैं भद्रा में होलिका दहन करना अशुभ होता है और इससे घर की सुख-शांति व समृद्धि नष्ट हो सकती है। इसके चलते होलिका दहन पर से भद्रा का साया हटने के बाद का समय 6 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर रत 8 बजकर 51 मिनट तक का बताया जा रहा है। जिससे इस मुहूर्त में होलिका दहन करना काफी शुभ होगा।
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