Manish Sisodia पर बने हुए हैं मुश्किलों के काले बादल, CBI ने अब 'जासूसी केस' में दर्ज की FIR


मनीष सिसोदिया

मनीष सिसोदिया



By MADHVI TANWAR Posted on: 16/03/2023

दिल्ली में पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की मुश्किले कम होती नहीं दिखाई दे रही है। जहां शराब निति में किए घोटाले के बाद वह जेल की सालखों के पीछे बैठे हैं। तो वहीं केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सत्ताधारी आम आदमी पार्टी की कथित ‘फीडबैक यूनिट’ (एफबीयू) से जुड़े जासूसी केस में सिसोदिया समेत 7 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज करवाई है। सीबीआई की प्राथमिक जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा गठित एफबीयू ने कथित तौर पर ‘राजनीतिक खुफिया जानकारी’ को इक्ट्ठा किया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सिसोदिया के खिलाफ केस चलाने के मंजूरी दे दी है। जिसके14 दिन बाद सीबीआई ने 14 मार्च को एफआईआर दर्ज की है।

2016 में काम हुआ था शुरू

सीबीआई का कहना है कि दिल्ली सरकार ने जीएनसीटीडी के अधिकार क्षेत्र में आने वाले कई विभागों, स्वायत्त निकायों, संस्थानों और उनमें काम करने वालों की प्रसनल डिटेल को इक्ट्ठा करवाने को लेकर ‘ट्रैप केस’ के लिए 2015 में एफबीयू की स्थापना का प्रस्ताव दिया था। केंद्रीय जांच एजेंसी ने जानकारी देते हुए बताया कि गोपनीय सेवा को खत्म करने के लिए 1 करोड़ का प्रावधान करके 2016 में काम करना शुरू किया।

इन लोगों पर दर्ज हुई एफआईआर

  1. दिल्ली के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया। 
  2. दिल्ली सतर्कता विभाग के तत्कालीन सचिव सुकेश कुमार जैन (आईआरएस-1992)। 
  3. सीआईएसएफ के सेवानिवृत्त डीआईजी राकेश कुमार सिन्हा, जो कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के विशेष सलाहकार और फीडबैक यूनिट के संयुक्त निदेशक हैं।
  4. आईबी के सेवानिवृत्त संयुक्त उप निदेशकप्रदीप कुमार पुंज जो फीडबैक यूनिट के उप निदेशक के रूप में काम कर रहे हैं। 
  5. सीआईएसएफ के सेवानिवृत्त सहायक कमांडेंट सतीश खेत्रपाल जो फीड बैक ऑफिसर (एफबीओ) के रूप में काम कर रहे हैं। 
  6. दिल्ली के मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार विरोधी सलाहकार गोपाल मोहन और अन्य.एफबीयू में नियुक्तियों के लिए उपराज्यपाल से कोई मंजूरी नहीं ली गई। 

क्या है आरोप

सीबीआई का आरोप है कि सीएम केजरीवाल ने साल 2015 में कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव पेश कि लेकिन उसे कोई नोट नहीं मिला।  आरोपों की माने तो एफबीयू में तैनातियों को लेकर उपराज्यपाल से भी मंजूरी नहीं ली गई। सीबीआई ने अपनी शुरुआती जांच रिपोर्ट में कहा था कि फीडबैक इकाई ने उसे सौंपी गई जानकारी को इक्ट्ठा करने के अलावा राजनीतिक खुफिया/विविध गोपनीय जानकारियों को भी एकत्र किया। 

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