बाजारों में अजब-गजब नामों वाली पतंगों की मांग बढ़ी
15 अगस्त 1947 को हमारा देश ब्रिटिश शासन से मुक्त होकर एक स्वतंत्र राष्ट्र बना था। 14 और 15 की मध्य रात्रि को कई विद्रोह के बाद भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुयी थी। राजधानी दिल्ली में इस बार जश्न ए आजादी परी, लग्गू, चीरा, तावा पतंगो के साथ मनाई जाएगी। लेकिन 15 अगस्त से पहले इसी तरह के अजब-गजब नामों वाली पतंगों से बाजार सज चुके है। दिल्ली के सदर बाजार, चांदनी चौक, जामा मस्जिद समेत अन्य चौक-चौराहों पर पतंग ही पतंग दिख रही है। मांग बढ़ने के साथ ही पतंग, चरखे और मांझे की कीमत भी अब बढ़ने लगी है। वैसे आम दिनों में पतंग का सौ रुपये का पैकेट आता है, जोकि इस वक्त 150 रुपये में मिल रहा है, जबकि मांझे की कीमत 500-800 रुपये के बीच है।
15 अगस्त के मौके पर पतंगबाजी करने की पुरानी परंपरा
दरअसल, राजधानी में 15 अगस्त के मौके पर पतंगबाजी की पुरानी परंपरा चली आ रही है। पुरानी दिल्ली के लोग पतंग उड़ाकर आजादी का जश्न मनाते हैं। जश्न-ए-आजादी के करीब 15 दिन पहले ही दिल्ली के बाजार तरह-तरह की पंतगों से सज जाते है। इसी तरह तिरंगा पंतगे स्वत्ंत्रता दिवस पर अधिक बिकती है। कारोबारियों का कहना है कि इसके अलावा स्लोगन लिखे पतंग, शांति का संदेश देती, कबूतर की तस्वीर लगी पतंग, प्रधानमंत्री की तस्वीर वाली पतंग के साथ ही डिजनीलैंड, कार्टून, स्पाइडरमैन, छोटा भीम, छुटकी वाले पतंगों की भी बाजार में भरमार है।
पतंगबाजी के शौकीनों से बीएसईएस ने अपील
स्वतंत्रता दिवस पर पतंगबाजी के शौकीनों से बीएसईएस ने अपील की है कि वे बिजली के खंभों, तारों, ट्रांसफॉर्मरों और अन्य उपकरणों के आसपास पतंग न उड़ाएं। पतंग उड़ाने के लिए मेटल-युक्त मांझे का प्रयोग न करें। मेटेलिक मांझा न सिर्फ इलाके की बिजली गुल कर सकता है। बल्कि इससे पतंग उड़ाने वालों की जान को भी खतरा हो सकता है। मेटल-कोटेड मांझा जब बिजली की तारों व अन्य उपकरणों के संपर्क में आता है, तो बिजली का करंट मांझे से प्रवाहित होकर पतंग उड़ाने वाले व्यक्ति के शरीर तक पहुंच सकता है।