Supreme Court: केंद्रीय कानून मंत्री ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के काम को सराहा, बोले- 'दिल छू लिया'


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By MADHVI TANWAR Posted on: 01/05/2023

यूं तो भारत की न्यायपालिकाओं में बेहतरीन जजों की नियुक्ति है।  चाहे हाई कोर्ट हो या फिर सुप्रीम कोर्ट या फिर निचली अदालतों में पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए एक से बढकर एक बेहतरीन जजों के माध्यम से सुनाए गए फैसले अन्य देशों के लिए भी नजीर बने हैं। ऐसे में बात जब देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के काम को आंकने की आई तो खुद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी उनकी तारीफ किए बगैर खुद को नहीं रोक पाए हैं। 

एक फैसले पर किरेन रिजिजू ने की मुख्य न्यायाधीश की तारीफ

देश के सर्वोच्च न्यायालय के जज के पद पर नियुक्ती के लिए कई कसौटियों पर खुद को साबित करना होता है। ऐसे में मुख्य न्यायाधीश का पद डीवाई चंद्रचूड़ को सौंपना एक बेहतरीन फैसला रहा है। केंद्रीय कानून मंत्री भी उनके काम के मुरीद होकर उनकी तारीफों के पुल बांधे बगैर खुद को नहीं रोक सके। दरअसल किरेन रिजिजू ने मुख्य न्यायाधीश की जमकर तारीफ एक फैसले को लेकर की। जिसमें एक व्यक्ति को बीमारी की वजह से लिखने में दिक्कत थी। ऐसे में युवक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उत्तराखंड प्रशासनिक सेवा की परीक्षा को लिखने के लिए एक लेखक ले जाने की अनुमति की मांग कर कोर्ट में अपील की थी। इस अपील पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा लिए गए फैसले को केंद्रीय कानून मंत्री ने जमकर सराहा है। 


क्या बोले केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू 

मुख्य न्यायाधीश की जमकर सराहना करते हुए किरेन रिजिजू ने एक ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि-  'यह माननीय जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल को छू लेने वाली कार्रवाई की है। उत्तराखंड के न्यायिक सेवा की परीक्षा में एक दिव्यांग उम्मीदवार को लेखक की सुविधा देकर उसे बड़ी राहत दी है। एम्स ने उसके दिव्यांगता के सर्टिफिकेट दिया था जिस पर जरूरतमंद व्यक्ति को समय पर न्याय मिलना बेहद संतोषजनक है।'

यहां जानिए पूरा मामला

उत्तराखंड के उम्मीदवार धनंजय कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उसने लिखा था कि वह अपनी बीमारी के कारण लिखने में असमर्थ है। ऐसे में उसे परीक्षा के लिए लेखक ले जाने की अनुमति दें। याचिकाकर्ता ने यह बताया कि उत्तराखंड पब्लिक सर्विस कमीशन ने उसकी मांग को खारिज कर दिया है। इससे हताश होकर ही उनसे सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। धनंजय ने यह याचिका के साथ एम्स अस्पताल द्वारा जारी सर्टिफिकेट भी कोर्ट में पेश किया, जिसमें उसकी बीमारी और लिख ना पाने की समस्या के बारे में जानकारी दी गई थी। याचिका पर गौर करते हुए मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा वाली पीठ ने उत्तराखंड पब्लिक सर्विस कमीशन और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर इस बारे में जवाब मांगते हुए याचिकाकर्ता को परीक्षा में लेखक ले जाने की अनुमति दे दी है। 

याचिकाकर्ता के वकील ने भी की तारीफ

वहीं इस पूरे मामले में याचिकाकर्ता के वकील ने फैसले की तारीफ करते हुए ट्वीट कर कहा है कि - 'हमने साढ़े 11 बजे रिट पिटीशन दायर की थी। जिसका डायरी नंबर सुबह सवा 10 बजे मिला। सुबह साढ़े 10 बजे उसे मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश किया गया। मुख्य न्यायाधीश ने मामले पर सुनवाई की और उसी दिन अंतरिम आदेश पारित कर दिया। मुख्य न्यायाधीश के इस कदम से जनता का न्यायपालिका में विश्वास कायम रहेगा।' 

वकील के ट्वीट पर कानून मंत्री ने दी प्रतिक्रिया 

याचिकाकर्ता के वकील द्वारा किए गए ट्वीट को संज्ञान में लेकर ही केंद्रीय कानून मंत्री ने ट्विटर पर रिप्लाई करते हुए कहा कि - कानून मंत्री की मुख्य न्यायाधीश को लेकर यह तारीफ ऐसे समय सामने आई है, जब सरकार और न्यायपालिका में कॉलेजियम सिस्टम को लेकर मतभेद खुलकर सामने आ चुके हैं। 


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