उत्तराखंड की शान बने आईपीएस अरुण मोहन जोशी
उत्तराखंड की आन बान शान और वहां के सबसे बहादुर ऑफिसर। वह आईपीएस जिसने पिता के आशीर्वाद से बुलंदियां हासिल की, मां का देहांत हुआ पिता ने संभाला तब जाकर आईपीएस ऑफिसर बने। यह बहादुर ऑफिसर या फिर कहें आईआईटी का एक छात्र जो आगे चलकर उत्तराखंड का सबसे काबिल अफसर साबित हुआ।
आईपीएस अफसर अरुण मोहन जोशी अपनी पहली ही पोस्टिंग में जनता के चाहिते बन गए। अरुण मोहन जोशी एक मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले होनार बेटे जो रुड़की आईआईटी से पास आउट हुए लेकिन मन में आईपीएस बनने का ख्वाब जिंदा रहा। अरुण यंग आईपीएस हैं।
कहां से शुरू हुआ अरुण का आईपीएस बनने का सफर ?
अरुण मोहन जोशी के परिवार में तीन भाई और एक बहन है। जिनमें से अरुण मोहन जोशी आईपीएस ऑफिसर बने हैं। अरुण मोहन जोशी जब छोटे थे उनकी मां का देहांत हो गया था। मां का प्यार ना मिलने पर भी उनके पिता ने अपने प्यार और अपने संस्कारों में कोई कमी नहीं छोड़ी। पढ़ाई हो या कोई भी काम उनके पिता हमेशा उनके साथ खड़ें रहे, वही पिता ने एक दोस्त बन कर उनका साथ निभाया।
जब वह रुड़की आईआईटी आए तब उन्होंने देखा कि उनके साथ के लोग अलग-अलग फील्ड में जाने की बातें कर रहे हैं। उस समय भी उनके पिता ने उनका साथ दिया और उन्होंने पुलिस डिपार्टमेंट ज्वाइन करने का रुख कर लिया। पिता का हमेशा कंधे पर हाथ रहने की वजह से अरुण को आगे बढ़ने में कभी कोई परेशानी नहीं आई। जब उन्हें हरिद्वार का एसपी बनाया गया था तो 5 साल की सर्विस के बाद ही अरुण मोहन जोशी को हरिद्वार का एसएसपी बना दिया गया था। इससे पहले वह उत्तरकाशी के एसपी रह चुके थे और रुड़की के ए एस पी रहे थे।