UttarPradesh

कांग्रेस गठबंधन मजबूत, बीजेपी की चुनौतियां

उत्तर प्रदेश में यूपी की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तैयारियां तेज हो गई है. हाल ही में लोकसभा चुनाव में जिस तरह के नतीजे सामने आए हैं उसके बाद प्रदेश की कई सीटों पर समीकरण बदले हुए नजर आ रहे हैं. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन पहले के मुकाबले कई सीटों पर मजबूत हुआ है वहीं 2022 से से कई सीटों पर बीजेपी कमजोर हुई है.यूपी की जिन सीटों पर उपचुनाव होना है, वो सीटें हैं फूलपुर, मझवा, मीरापुर, मिल्कीपुर, करहल, कुंदरकी, गाजियाबाद, कटेहरी और खैर विधानसभा सीट. इसके अलावा रायबरेली की ऊंचाहार सीट भी सुर्खियों में हैं. 

इस सीट से विधायक मनोज पांडे अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया है लेकिन इस सीट को अभी तक ख़ाली घोषित नहीं किया गया है.फूलपुर विधानसभा सीट से बीजेपी के प्रवीण पटेल विधायक थे. जो 2024 के लोकसभा में सांसद चुने गए हैं. लेकिन, प्रवीण पटेल जीत तो गए लेकिन अपनी ही विधानसभा में वो कमजोर हो गए. यहां पर वो 18 हजार वोटों से पीछे रहे जबकि 2022 के चुनाव वो करीब 3 हजार वोटों से जीते थे.मझवा विधानसभा सीट मिर्जापुर लोकसभा में आती है, जहां एनडीए की सहयोगी और अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में जीत दर्ज की है, 

मझवा विधानसभा से अनुप्रिया को करीब 2000 की लीड मिली थी. इस सीट से डॉ विनोद बिंद बीजेपी से गठबंधन के सहयोगी निषाद पार्टी विधायक चुने गए थे. 2022 में जीत का अंतर करीब 33 हजार वोटों का था, इस बार विनोद बिंद बीजेपी के टिकट पर भदोही लोकसभा सीट से जीत दर्ज की हैं. हालांकि मझवा में बीजेपी कमजोर दिख रही है.मीरापुर विधानसभा सीट से रालोद के चंदन चौहान विधायक थे. जो इस बार बिजनौर लोकसभा सीट से 37508 वोटों के अंतर से सांसद चुने गए हैं. 2022 में रालोद ने सपा के साथ चुनाव लड़ा था, तब वो इस सीट पर 27 हजार वोटो से आगे थे. इस बार रालोद का बीजेपी के साथ गठबंधन हैं. 

मिल्कीपुर विधानसभा सीट से सपा अवधेश प्रसाद को इस विधानसभा से लोकसभा चुनाव में 8000 वोटों से बढ़त मिली थी, जबकि अवधेश प्रसाद ने 2022 का चुनाव 13 हजार वोटों से जीता था. अवधेश प्रसाद इस बार फैजाबाद सीट से सांसद चुने गए हैं. उनकी जीत इसलिए बड़ी हैं क्योंकि यहां अयोध्या सीट और भव्य राम मंदिर बनाया गया हैं.करहल विधानसभा सीट से लोकसभा 2024 के चुनाव में सपा की डिंपल यादव को करहल 55000 की बढ़त मिली थी. जबकि, 

2022 में अखिलेश यादव नें विधानसभा में 67 हजार से जीत दर्ज की थी. इस सीट से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव विधायक थे लेकिन कन्नौज से चुनाव जीतने के बाद ये सीट खाली हो गई है. इस सीट पर सपा मजबूत स्थिति में है.कुंदरकी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के जियाउर्रहमान बर्क विधायक थे लेकिन अब वो संभल सीट से सांसद बन गए हैं. उन्हें अपनी विधानसभा में तकरीबन 60 हजार की लीड़ मिली थी, जबकि 2022 का चुनाव बर्क ने 43 हजार वोटों से जीता था.  इस सीट पर सपा बीजेपी के मुकाबले और मजबूत होती दिख रही है.गाजियाबाद विधानसभा सीट से बीजेपी के अतुल गर्ग विधायक थे उनके सांसद चुने जाने के बाद यहां उपचुनाव होना है. अतुल गर्ग को अपनी विधानसभा में कांग्रेस की डॉली शर्मा के खिलाफ तकरीबन 70 हजार वोटों की बढ़त मिली थी. 2022 के विधानसभा में उन्होंने एक लाख से ज़्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी. 

कटेहरी विधानसभा सीट से सपा के लालजी वर्मा विधायक थे लेकिन अब वो सांसद बन गए हैं जिसके बाद उन्होंने विधायकी से इस्तीफा दे दिया है. लालजी वर्मा को कटेहरी में 17 हजार वोटों की बढ़त मिली, जबकि 2022 का विधानसभा चुनाव 7 हजार वोटों से जीता था, जाहिर है वो अपने क्षेत्र में और मजबूत हुए हैं. उन्होंने बीजेपी के मजबूत प्रत्याशी रितेश पांडे को 1.37 लाख वोटों से हराया. रितेश पांडे 2019 में सपा–बसपा गठबंधन से सांसद चुने गए थे लेकिन, चुनाव से ठीक पहले उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था.


Edited by Naved

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