Lok Sabha Election 2024: भाजपा को मिलेगा सुभासपा का साथ, रालोद से ज्यादा दिखी मुफीद


Lok Sabha Election 2024

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By MADHVI TANWAR Posted on: 01/06/2023

उत्तर प्रदेश में इस समय वर्चस्वादी भारतीय जनता पार्टी मिथन लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बड़ी रणनीति तैयार करने में जुटी हुई है। चुनावी सरगर्मी के इस माहौल में राजनीतिक गलियारों में एक दूसरे का दामन थामने में जुटे हुए हैं। इसी के साथ बाजपा के मिथन 80 का सपना पूरा करने के लिए राष्ट्रीय लोकदल से ज्यादा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी मुफीद है। रालोद के प्रभाव वाले पश्चिमी यूपी के क्षेत्रों में भाजपा पूर्व में ही काफी मजबूत बनी हुई हैं। जबकि सुभासपा से गठबंधन करने पर भाजपा को पूर्वांचल में 5 से 6 सीटों पर काफी फायदा होगा। इसका नतीजा भाजपा ने आगामी चुनाव में सुभासपा से गठबंधन करने के लिए बड़ा कदम बढ़ाकर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को कमान सौंपी है।

महामुकाबला देखने को मिलेगा सभी विपक्षी दल भाजपा हराने 

भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर अपने नेतृत्व में किसी भी तरह की गलतफहमी नहीं पाल रही है। लिहाजा यह कहना गलत ना होगा कि इस बार यूपी में महामुकाबला देखने को मिलेगा। सभी विपक्षी दल भाजपा को हराने में एक एकजुट दिखाई देंगे। भाजपा के लिए अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए करो या मरो के सिद्धांत पूरी ताकत झोंकने के लिए आगे बढ़ चुकी है। 

चुनावी जीत के लिए आगे बढ़ने का होगा काम

पार्टी गठबंधन के मौजूदा साथी निषाद पार्टी और अपना दल (एस) से गठबंधन को यूं ही बरकरार रखना चाहती है। इसकी तलाश शुरू कर दी गई है। शुरूआती जांच में यह भी सामने आया है कि रालोद का पश्चिमी यूपी के सहानरपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, आगरा, मथुरा, मेरठ, शामली, संभल, अमरोहा, बिजनौर, मुरादाबाद और हाथरस जिलों में प्रभाव है। इनमें से मुजफ्फरनगर, बागपत, आगरा, मथुरा, मेरठ सीटें भाजपा ने जीती हैं। वहीं साल 2019 में अमरोहा, सहारनपुर, नगीना, बिजनौर, रामपुर और संभल में यदि बसपा-सपा का गठबंधन नहीं होने पर भाजपा चुनावी जीत के लिए आगे बढ़ने का काम करती दिखाई देगी। फिलहाल सपा और बसपा का गठबंधन होता नजर नहीं आ रहा है लिहाजा रालोद से गठबंधन करने का पार्टी को कोई फायदा नहीं होगा। 

भाजपा में 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, प्रदेश सरकार के मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी और राज्यमंत्री केपी मलिक भी जाट समाज से हैं। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि अधिकांश सीटों पर जाट समाज भाजपा के साथ भी रहा है। पार्टी का मानना है कि रालोद से ज्यादा भाजपा के लिए सुभासपा मुफीद है। सुभासपा से गठबंधन करने पर भाजपा को पूर्वांचल की घोसी, गाजीपुर, जौनपुरी, लालगंज, श्रावस्ती और आजमगढ़ सीट पर फायदा होगा। इन लोकसभा सीटों पर राजभर समाज के मतदाताओं की बड़ी संख्या है। 

भाजपा की तरफ से उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक भी रखेंगे नजर

लोकसभा चुनाव 2019 और विधानसभा चुनाव 2022 में सुभासपा से अलग होने के बाद भाजपा को इन क्षेत्रों में नुकसान झेलना पड़ा था। सुभासपा और भाजपा के बीच गठबंधन की चर्चाएं इस बात को लेकर विराम लगा रही हैं। पार्टी ने सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के बेटे को किसी एक सीट से लोकसभा प्रत्याशी बनाने, ओमप्रकाश को प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाने सहित अन्य राजनीतिक फायदे देने का प्रस्ताव रखा है। भाजपा की ओर से उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह इस काम को अंजाम देने में जुटे हैं।

तो क्या बसपा के सांसद में होगा बिखराव

आने वाले दिनों में बसपा के कुछ सांसद हाथी की सवारी छोड़कर कमल की खुशबू लेते दिखाई देंगे। चोली दामन का साथ बसपा सांसदों से भाजपा के नेताओं की बातचीत चल रही है। लोकसभा चुनाव में ज्यादातर सीटों पर भाजपा और सपा के बीच ही सीधा मुकाबला होगा। बसपा पश्चिमी यूपी और पूर्वांचल की 4 से 5 सीटों पर मुकाबला तेज रहेगा। नगरीय निकाय चुनाव के नतीजो पर गौर किया जाए तो मेरठ नगर निगम सहित कुछ नगरीय निकायों में एआईएमआईएम की मजबूत स्थिति भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होगी। लोकसभा चुनाव में भी मुस्लिम बहुल सीटों पर एआईएमआईएम के प्रत्याशी उतारने की स्थिति में भाजपा को फायदा मिल सकता है।

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