Umesh Pal Murder Case
यूपी में उमेश हत्याकांड मामले में अब यूपी पुलिस विभाग भी घिरता दिखाई दे रहा है। दरअसल बीते दिनों मामले में मुख्य आरोपी माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ से अधिकारियों की अनुमति लिए बगैर ही बरेली जेल में उसके गुर्गों व अन्य परिचितो से मिलवाने के मामले में गिरफ्तार आरक्षी शिवहरि ने पूछताछ में अपना मुह खोलना शुरू कर दिया है। जिसमें उसने बताया है कि वह जेल परिसर के मल्टीपरपज हॉल के सामने बने गोदाम में मुलाकात करवाता था।
निलंबित करना कितना सही
जेल अधिकारियों का कहना है कि शिवहरि और मनोज गौड़ संदिग्ध प्रवृत्ति हैं, जिनकी अपराधियों के साथ साठगांठ रही है। लेकिन ऐसे में हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि जेल में मुलाकातें होती रही तो क्या जेल प्रशासन को इस बारे में जरा सी भी जानकारी नहीं थी? क्योंकि अशरफ से मुलाकात करने वाले जेल में दाखिल हो रहे थे। ऐसे में जब मामला खुला तो अधिकारियों को महज निलंबित करते हुए विभागीय कार्रवाई की सिफारिश आखिर कितनी सही है।
आखिर कैसे होती थी मुलाकात
दरअसल जेल में बंद निंलबित आरक्षी शिवहरि ने डीआईजी को बयान देते हुए कहा कि मुलाकातियों को जेल में मिलवाने का काम जेलर राजीव मिश्रा और डिप्टी जेलर दुर्गेश प्रताप सिंह के निर्देश पर होता था। उन्ही के कहने पर ही वह मुलाकातियों की आईडी उनके पास भेजते थे। गोदाम के अंदर 3 से 4 आईडी पर 6-7 लोगों को मिलवाया जाता था। जिसके बारे में सभी जेल अधिकारी जानते थे। गैंग में शामिल सद्दाम और लल्ला गद्दी मुलाकातियों को जेल लाते थे। जिनके बारे में जेल अधिकारी पहले से जानते थे। इसमें से लल्ला गद्दी बरेली जेल में कैदी रह चुका है।
कई लोगों मुलाकात कराने में हुए शामिल
शिवहरि के बाद गिरफ्तार सब्जी विक्रेता दयाराम से पूछताछ में बताया कि उसने कभी अशरफ को देखा नहीं है। जेल के पास दुकान लगाने वाला विक्की और जेल वार्डर रामनरायन ने अशरफ के साले सद्दाम से उनकी मुलाकात करवाई है। सद्दाम अशरफ के लिए बिल्ली का चारा, नमकीन, बिस्कुट, पान लाता था। जिसे कैंटीन के सामान के साथ जेल में भेजा जाता था। यह सामान लाला राम को सौंपा जाता था। अधिकारियों ने लालाराम से भी पूछताछ की जिसमें उसने इस बात को कबूल कर लिया है।
2 घंटे तक चली थी अशरफ से मुलाकात
जांच के दौरान जानकारी यह भी सामने निकलकर आई है, कि अजहर ने 11 फरवरी को मिलने के लिए आवेदन किया जिसके साथ असद का आधार कार्ड भी पर्ची के साथ पाया गया। वहीं 11 फरवरी के सीसीटीवी फुटेज से जानकारी मिली कि दोपहर 1.22 बजे 7-8 लोग जेल आए थे। 2 घंटे बीत जाने के बाद दोपहर 3.14 बजे सभी जेल से बाहर चले गए। बरेली पुलिस का कहना है कि जेल में मिलवाने के लिए राशिद और फुरकान की गिरफ्तारी हुई वह अशरफ को पहले नहीं जानते थे।
वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
डीआईजी जेल बरेली रेंज की रिपोर्ट में सामने आया है कि वरिष्ठ जेल अधीक्षक राजीव कुमार शुक्ला का अधीनस्थों पर कोई कंट्रोल नहीं था। जेलर राजीव कुमार मिश्रा अशरफ से मुलाकात आवेदनों पर हस्ताक्षर करने से आखिरकार खुद को बचाते रहे। बरेली जेल के दूसरे जेलर अपूर्वव्रत पाठक ने जो बयान दिया है, उसमें 31 अगस्त से बंदियों की मुलाकात कराने का जिम्मा डिप्टी जेलर दुर्गेश प्रताप सिंह का बताया गया। जबकि मुलाकात के पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी जेलर राजीव कुमार मिश्रा संभाल रहे थे।