उत्तराखंड में लगातार तबादलों के बीच बड़ा सवाल


आखिर राज्य से क्यों पीछा छुड़ाना चाहते हैं प्रशासनिक अधिकारी

आखिर राज्य से क्यों पीछा छुड़ाना चाहते हैं प्रशासनिक अधिकारी



By 0 Posted on: 14/07/2022

उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार ने बुधवार को फिर छह आईएएस व एक पीसीएस अफसर का तबादला किया तो सवाल यह खड़ा हो गया कि क्या उत्तराखंड में नौकरशाह परेशान हैं! आपको बता दें प्रशासनिक सेवा के आईएएस अधिकारियों के 126 के कैडर के मुकाबले राज्य में सिर्फ 78 आईएएस हैं, इनमें से भी 6 केंद्र में डेपुटेशन पर हैं। बचे 72 अफसरों में से कई जाने की तैयारी में हैं। अब इससे कामकाज तो प्रभावित होता ही है, साथ ही इसे उत्तराखंड जैसे नवोदित राज्य के लिए भी अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता। इतनी बड़ी संख्या में बार-बार तबादले न केवल सिस्टम की खामियों को उजागर करते हैं, साथ ही राज्य में राजनीतिक हस्तक्षेप की ओर भी इशारा करते हैं। 

पहले से ही आईएएस की कमी से जूझ रहा राज्य!

दरअसल, सेंट्रल सर्विसेज़ यानि केंद्र में ड्यूटी बजाने का अपना अलग ही चार्म है। केंद्र में प्रतिनियुक्ति के मौके को कोई भी अफसर नहीं छोड़ना चाहेगा। इससे एक्सपोज़र भी बढ़ता है और करियर में एडिशनल सेक्रेटरी या सेक्रेटरी जैसे असाइनमेंट मिलने में आसानी रहती है। लेकिन, पहले ही आईएएस की कमी से जूझ रहे राज्य से यदि एक के बाद एक अफसर जाने लगे तब मामला गंभीर ज़रूर हो जाता है। फिलहाल उत्तराखंड में आईएफएस कैडर पोस्ट 112 हैं, लेकिन कार्यरत केवल 75 ही हैं। इनमें से भी 11 आईएफएस केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं, तो 16 आईएफएस स्टेट डेपुटेशन पर। इस तरह वन विभाग के पास बचे केवल 48 आईएफएस। ठीक इसी तरह आईपीएस का कैडर पोस्ट 73 का है, लेकिन उत्तराखंड में केवल 55 ही कार्यरत हैं। जबकि आठ आईपीएस डेपुटेशन पर हैं। 

राजनितिक हस्तक्षेप बना बड़ा कारण!

नौकरशाही के मामले में उत्तराखंड में राजनीतिक हस्तक्षेप एक बड़ा कारण है जिसकी वजह से अगर केंद्र में मौका मिले तो यहां कोई टिकना नहीं चाहता। आए-दिन मंत्रियों और अफसरों के बीच विवाद आम बात हो गई है। आए-दिन अफसरों के विभागों में बदलाव भी काम के माहौल को प्रभावित करता है।

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