अतिक्रमण हटाने के विरोध में सड़कों पर उतरे लोग
रेलवे भूमि पर अतिक्रमण हटाने के लिए हाईकोर्ट के आदेश के बाद रेलवे ने सार्वजनिक नोटिस जारी कर दिया है। इसमें रेलवे स्टेशन से 2.19 किमी दूर तक अतिक्रमण हटाया जाना है। खुद अतिक्रमण हटाने के लिए सात दिन की मोहलत दी गई थी। जारी नोटिस में कहा गया है कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन 82.900 किमी से 80.710 किमी के बीच रेलवे की भूमि पर सभी अनाधिकृत कब्जों को तोड़ा जाएगा। यह भी कहा गया है कि सात दिन के अंदर अतिक्रमणकारी खुद अपना कब्जा हटा लें, अन्यथा हाईकोर्ट के आदेशानुसार अतिक्रमण को तोड़ दिया जाएगा, जिसका खर्च भी अतिक्रमणकारियों से ही वसूला जाएगा। अतिक्रमण तोड़ने के दौरान अगर गिरफ्तार करने की नौबत आती है तो इसके लिए ऊधमसिंह नगर में जेल बनाने की भी योजना बनाई जा रही है। वहीं गुरुतेग बहादुर स्कूल में दो कंपनी पीएसी भी पहुंच चुकी है।
चार सुपर जोन में बंटा अतिक्रमण क्षेत्र
बता दें कि जिलाधिकारी ने 29 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम का निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्होंने नगर निगम को सफाई करने, जलसंस्थान को स्टेडियम में पानी चलाने और लोनिवि को जनरेटर, शौचालय, स्नानघर और किचन बनाने के निर्देश दिए थे। साथ ही मिनी स्टेडियम हल्द्वानी में भी पानी, शौचालय, स्नानघर बनाने के निर्देश दिए थे। उधर लोनिवि ने स्नानघर, किचन, बनाने का काम शुरू कर दिया है। जलसंस्थान ने अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में पानी की व्यवस्था कर दी है, वहीं मिनी स्टेडियम में भी स्नानघर बनाए जा रहे हैं। जिला प्रशासन ने रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए अतिक्रमण क्षेत्र को चार सुपर जोन में बांटा है। सुपर जोन में एडीएम स्तर के अधिकारी और जोन, सेक्टर में एसडीएम स्तर के अधिकारियों को तैनात किया जाएगा। इसके लिए 10 एडीएम और 30 एसडीएम की भी मांग की गई है। अतिक्रमण तोड़ने की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है, प्रशासन की तैयारियां भी उतनी ही तेज होती जा रही हैं। जिला प्रशासन ने अतिक्रमण वाले क्षेत्र को चार सुपर जोन, 14 जोन और 30 सेक्टर में बांटा है। सूत्रों की मानें तब सुपर जोन में एडीएम और एसपी रैंक के अधिकारी तैनात होंगे। वहीं जोन में एडीएम, एएसपी रैंक और सेक्टर में एसडीएम, तहसीलदार, सीओ रैंक के अधिकारियों को तैनात किया जाएगा। जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल ने बताया कि तैयारियां तेज कर दी गई हैं, पांच जनवरी को सुप्रीम कोर्ट का जैसा आदेश आएगा उस हिसाब से कार्रवाई की जाएगी।
कुछ बिंदुओं को समझें
- प्रभावितों का पक्ष रखने के लिए बनी 'बस्ती बचाओ संघर्ष समिति' का कहना है कि हाईकोर्ट में रेलवे ने जो नक्शा दिया है वह 1959 का है। वहीं, लोगों के पास 1937 की लीज है यानी लोगों का दावा रेलवे से भी पुराना है।
- समिति से जुड़े परिवर्तनकामी छात्र संगठन के चंदन सिंह मेहता का कहना है कि वर्ष 2016 में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में कहा था कि अतिक्रमण वाली ज़मीन नजूल भूमि है। तब उसने रेलवे के अधिकार को नकारा था। तो फिर अब चुप्पी क्यों?
- राज्य सरकार 2016 में मलिन बस्ती अधिनियम लेकर आई थी। इसके अंतर्गत पूरे राज्य में 582 मलिन बस्तियों को पुनर्वास के लिए सूचीबद्ध किया गया। इस लिस्ट में वनभूलपुरा क्षेत्र की गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती, चिराग अली शाह और इंदिरा नगर भी थे। लिस्ट में आने से इन बस्तियों को सरकार का संरक्षण मिल गया। लेकिन, 2021 में सूची संशोधित हुई और वनभूलपुरा की बस्तियों को बाहर कर दिया गया।
- प्रभावित होने वालों में मुस्लिम आबादी ज़्यादा है, तो आरोप लग रहे हैं कि सरकार जानबूझकर अनदेखी कर रही है। भाकपा माले के नेता बहादुर सिंह जंगी का कहना है कि सरकार ने सही तरह से पैरवी नहीं की। हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश की मानें तब लोगों के पास पर्याप्त डॉक्युमेंट हैं, लेकिन उनकी सुनी नहीं जा रही। वहीं, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट ने विश्वास दिलाया है कि बस्ती वालों की हर संभव मदद की जाएगी।