उत्तर भारत में इस बार का मानसून सिर्फ राहत नहीं, बल्कि भारी तबाही लेकर आया है। जून के अंतिम सप्ताह से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने कई राज्यों में हालात बेहद गंभीर बना दिए हैं। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में बारिश ने जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। नदियां उफान पर हैं, सड़कें पानी में डूब चुकी हैं और कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।
हिमाचल और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश के कारण भूस्खलन की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे सड़कों का संपर्क टूट गया है और यातायात पूरी तरह बाधित हो गया है। कई जगहों पर मकान जमींदोज हो गए हैं और पुल बह गए हैं, जिससे आम लोगों को जान-माल का भारी नुकसान झेलना पड़ा है। वहीं, मैदानी राज्यों जैसे पंजाब, यूपी और बिहार में नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच चुका है, जिससे बाढ़ की स्थिति और भयावह हो गई है।
प्रशासन की ओर से राहत और बचाव कार्य जारी हैं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और स्थानीय प्रशासन के जवान प्रभावित इलाकों में लगातार मोर्चा संभाले हुए हैं। नावों और हेलीकॉप्टरों की मदद से फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। राहत शिविरों की स्थापना की गई है जहां लोगों को भोजन, दवा और रहने की अस्थायी व्यवस्था दी जा रही है।
सरकारी स्कूलों को बंद कर दिया गया है और यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है ताकि जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में और बारिश की चेतावनी जारी की है, जिससे हालात और बिगड़ने की आशंका बनी हुई है।
इस मानसूनी कहर ने एक बार फिर दिखा दिया है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए तैयारियां कितनी अहम हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की मार और अप्रत्याशित वर्षा का खतरा हर साल और बढ़ता जा रहा है। आम लोगों से अपील की जा रही है कि वे सावधानी बरतें, प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और सुरक्षित स्थानों पर रहें।
इस ग्राउंड रिपोर्ट में देखिए उत्तर भारत में मानसून से जुड़े तबाही के दृश्य, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की ताज़ा स्थिति और राहत कार्यों की पूरी जानकारी।
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