Uttarakhand Assembly Session 2023: विधानसभा सत्र का आज चौथा दिन, आगामी वर्ष में 77 हजार करोड़ से ज्यादा का हो जाएगा कर्ज


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By MADHVI TANWAR Posted on: 16/03/2023

उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बुधवार को वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए भराड़ीसैंण विधानसभा में 77407.08 करोड़ रुपये का बजट पेश किया। इस वर्ष बजट में बढ़ौतरी कि गई है। बीते साल की तुलना की जाए तो यह 18.05 प्रतिशत ज्यादा है। लेकिन इसका सीधा असर सराकर को सीधे तौर पर आगामी वर्ष में 77 हजार करोड़ की कर्ज की चोट देने वाला है। 3 सालों में सीएम पुष्कर सिंह धामी यूं तो उत्तराखंड को देश के अन्य राज्यो की तरह ही अग्रणी राज्य बनाना चाहते है। 

राज्य पर कर्ज का बोझ नहीं किसी से छिपा

इसके लिए सरकार वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में लिए संकल्प को पूरा करने के लिए हर साल की तरह की तरह आने वाले केंद्रीय राशी व कर्ज पर ही पूरी तरह से निर्भर रहना होगा। साल दर साल राज्य के बजट का आकार भी पैर फैलाता जा रहा है। जो बढ़कर 77407.08 करोड़ तक जा पहुंचा है। पहुंच गया है। लेकिन  दूसरी तरफ राज्य पर कर्ज का बोझ भी किसी से नहीं छिपा है। क्योंकि बजट बढ़ने से इसका सीधा असर इसका सरकार को आने वाले दिनों में परेशान कर सकता है। 

31 मार्च 2023 तक 68844 करोड़ कर्ज 

जहां उत्तराखंड में सरकार द्वारा बजट को हर साल बढ़ाया जा रहा है। तो वहीं दूसरी तरफ वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद राज्य पर 77 करोड़ का कर्ज हो जाएगा। ऐसे में जो कयासत लगाए जा रहे हैं। इस बजट को लेकर उसके बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि इस साल जारी किया गया बजट जाया ही जाएगा। सदन पटल पर सरकार के वार्षिक वित्तीय विवरण के खुलासे में जो सामने निकलकर आया है, उसमें यही है कि राज्य पर 31 मार्च 2023 तक 68844 करोड़ कर्ज होने की आशंका है। 

आखिर क्यों अलग है यह बजट

ऐसे में सरकार के सशक्त उत्तराखंड का संकल्प उनके तय किए गए लक्ष्य की झलकी तो बजट ने दिखा ही दी है। लेकिन उत्तराखंड के उद्योगपतियों, व्यापारियों से लेकर समाज में शामिल अंतिम पंक्ति पर खड़े लोगों, गरीब किसान, युवाओं, महिला विकास से जुड़ी प्राथमिकताओं को पूरा करने लिए सरकार को एक बड़ी पूजी की जरूरत है। दरअसल यह बजट इस तरीके से भी अलग है। क्योंकि सरकार ने पहली बार लक्ष्य को आधार में रखकर विकास की तरफ बढ़ने की बात कही है। 

विशेष ध्यान केंद्रित लेकिन एक समस्या भी सामने 

सरकार का पर्यटन राज्य में मानव संसाधन विकास, सेवा क्षेत्र को विस्तार देने वाले निवेश और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य में सड़क, रोपवे और हवाई कनेक्टिविटी पर सरकार विशेष तौर पर ध्यान रखने वाली है। ऐसे में सराकर के समक्ष सबसे बढ़ी समस्या यह सामने आ रही है कि कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन-भत्तों व पेंशन की जो धनराशि है उसे कैसे जुटाया जाए।

लगातार लिए कर्ज को भी चुकाने पर भी आएगा खर्ज

अगर सरकार एक साल में सरकारी कर्मचारियों के वेतन को देती है, तो वह 18 हजार करोड़ बैठेगा। वहीं पेंशन की बात की जाए तो यह 7601 करोड़ रुपये साला खर्च आएगा। ऐसे में सरकार को 26 हजार करोड़ से अधिक राशि इनके लिए इक्ट्ठा करना पड़ेगा। सरकार की आमदनी में से 11,525 करोड़ रुपये पुराने कर्ज की किस्त लौटाने और 6166 करोड़ वर्षों से लगातार लिए जा रहे कर्ज का ब्याज चुकाने पर खर्च करने होंगे।

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