बढ़ती संख्या के साथ बाघों के बदले व्यवहार ने विशेषज्ञों को चिंता में डाला


TIGER: प्रतीकात्मक चित्र

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By 0 Posted on: 29/07/2022

बाघों के मामले में उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क की अपनी अलग पहचान है। पार्क में बाघों के बेहतर संरक्षण का ही नतीजा है कि यहां बाघों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। 2018 में गणना के अनुसार, उत्तराखंड में 442 बाघ रिकॉर्ड किए गए थे जिनमें 325 बाघ कॉर्बेट लैंडस्केप में थे। एनटीसीए की गणना चार साल बाद फिर हुई है जिसमें उम्मीद की जा रही है कि बाघों की संख्या में वृद्धि होगी। हालांकि बाघों की संख्या में वृद्धि होने के साथ वन विभाग की चुनौतियां भी बढ़ रही हैं और मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं। अमूमन बाघ इलाका बांटकर रहते हैं। कुछ सालों से प्रदेश में बाघों के व्यवहार में बदलाव नजर आ रहा है। कॉर्बेट के सर्पदुली, रामनगर वन प्रभाग के कोसी रेंज और अल्मोड़ा वन प्रभाग के मोहान रेंज के बफर जोन में एक बाघिन और तीन बाघ देखे जा रहे हैं जो एक साथ शिकार करते हैं जबकि प्राकृतिक व्यवहार के चलते दो साल की उम्र से ही बाघ परिवार से अलग हो जाते हैं।

बाघों के बदले व्यव्हार ने विशेषज्ञों की बढ़ाई  चिंता 

बाघों के बदले व्यवहार ने विशेषज्ञों को चिंतन में डाल दिया है। अध्ययन बताते हैं कि एक बाघ का इलाका कम से कम 20 किलोमीटर तक होता है लेकिन रामनगर वन प्रभाग के फतेहपुर रेंज और कॉर्बेट में बाघों के एक दूसरे के आसपास रहने के मामले चौंकाते तो हैं ही, साथ ही इससे बाघों के लिए भी खतरा बढ़ रहा है। इधर, बफर जोन के कुछ इलाकों में देखा जा रहा है कि बाघ आसान शिकार ढूंढ रहे हैं। बफर जोन में बाघ आसानी से गाय, भैंस का शिकार कर रहे हैं। ऐसे में एक साथ चार बाघों की मौजूदगी चौंकाने वाली है। किसी भी क्षेत्र में बाघों का बढ़ना एक अच्छा संकेत है लेकिन यह चिंता का विषय भी बनता है, क्योंकि नर बाघों का वन क्षेत्र सीमित होता है। गौरतलब है की बाघों का मूवमेंट कॉर्बेट पार्क और उससे लगे जंगलों में लगातार होता है जो बाघों का नेचुरल फिनोमिना है। बाघों की संख्या के मामले में उत्तराखंड भारत में तीसरे स्थान पर है। मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 526 बाघ हैं, जबकि कर्नाटक में बाघों की संख्या 524 दर्ज की गई है। इसी प्रकार उत्तराखंड में 442 और महाराष्ट्र में बाघों की कुल संख्या 312 है।