रूस और यूक्रेन के बीच वर्षों से चल रहा विनाशकारी युद्ध अब एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गया है, जहाँ शांति की एक नई किरण दिखाई देने लगी है। हजारों लोगों की जानें जा चुकी हैं, लाखों विस्थापित हो चुके हैं और यूरोप से लेकर एशिया तक इसकी गूंज महसूस की गई है। ऐसे में हाल ही में व्हाइट हाउस में हुई बहुपक्षीय बैठक ने वैश्विक राजनीति को एक नई दिशा प्रदान की है।
इस अहम बैठक में अमेरिका, यूरोपीय संघ, यूक्रेन और अन्य प्रमुख देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। चर्चा का केंद्र बिंदु था—रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए एक ठोस रणनीति और संभावित वार्ता का खाका तैयार करना। बैठक के बाद सामने आई बयानों और संकेतों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब इस संघर्ष को और लंबा खिंचते हुए नहीं देखना चाहता।
सबसे बड़ी उत्सुकता अब इस बात को लेकर है कि क्या व्लादिमीर पुतिन और वोलोडिमिर जेलेंस्की आमने-सामने बैठकर वार्ता के लिए तैयार होंगे? अगर ऐसा होता है तो यह न केवल युद्ध को समाप्त करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम होगा, बल्कि इससे वैश्विक स्तर पर स्थिरता भी लौट सकती है।
हालांकि, अब तक रूस की ओर से इस बैठक पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन जानकारों का मानना है कि बढ़ता अंतरराष्ट्रीय दबाव और युद्ध से हो रही आर्थिक व कूटनीतिक क्षति, क्रेमलिन को इस बार बातचीत की मेज पर आने के लिए मजबूर कर सकती है।
दूसरी ओर, यूक्रेन की तरफ से यह साफ संकेत दिया गया है कि अगर वार्ता होती है तो वह पूरी गंभीरता और पारदर्शिता के साथ उसमें भाग लेगा। लेकिन यह वार्ता तभी संभव है जब रूस ईमानदारी से शांति की दिशा में कदम बढ़ाए।
इस पूरी स्थिति ने वैश्विक मीडिया, राजनीतिक विश्लेषकों और आम जनता की निगाहें एक बार फिर रूस-यूक्रेन संघर्ष पर केंद्रित कर दी हैं।
क्या यह युद्ध अब समाप्ति की ओर बढ़ेगा? या यह शांति सिर्फ एक अस्थायी छलावा है? इन सवालों के जवाब आने वाले हफ्तों में मिलने की उम्मीद है। लेकिन एक बात तय है—विश्व अब इस संघर्ष का अंत चाहता है।
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