कभी पूरी दुनिया पर राज करने वाला ब्रिटेन अब अपने ही देश में नए डर का सामना कर रहा है। ब्रिटिश लोग चिंता जता रहे हैं कि कहीं वे अपनी ही धरती पर अल्पसंख्यक न बन जाएं। इस बदलाव ने सामाजिक और राजनीतिक माहौल में तनाव बढ़ा दिया है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि लगातार बढ़ती प्रवासन दर और विविधता ने ब्रिटिश समाज में सांस्कृतिक और आर्थिक दबाव पैदा किया है। कुछ शहरों में अब स्थानीय निवासी खुद को हाशिए पर महसूस कर रहे हैं। राजनीतिक दल भी इस मुद्दे को लेकर विभाजित हैं, जिससे राष्ट्रीय राजनीति में अस्थिरता बढ़ रही है।
सामाजिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर यह रुझान जारी रहा, तो ब्रिटेन के मूल निवासियों और नई आबादी के बीच तनाव और बढ़ सकता है। वहीं, सरकार का कहना है कि सभी नागरिकों के अधिकारों और सुरक्षा का ध्यान रखा जा रहा है।
ब्रिटेन का यह नया डर केवल सांस्कृतिक ही नहीं, बल्कि भविष्य की राजनीतिक दिशा और आर्थिक नीतियों पर भी असर डाल सकता है।
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