उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 2025 के चंद्रग्रहण के अवसर पर श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता था। लोग सुबह-सुबह ही घाटों और मंदिरों की ओर निकल पड़े, खासकर वाराणसी और अयोध्या में। गंगा में पवित्र स्नान करते हुए लोग ग्रहण के शुभ प्रभाव के लिए अपनी मनोकामनाएँ मांगीं। मंदिरों में दर्शन के लिए लंबी कतारें लगीं और पुजारी मंत्रोच्चारण के माध्यम से भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान कर रहे थे। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी इस अवसर को भक्ति और धार्मिक अनुशासन के साथ मनाते नजर आए।
कई स्थानों पर लोग हवन और पूजा में शामिल होकर ग्रहण के समय विशेष अनुष्ठान कर रहे थे। स्थानीय प्रशासन ने भी सुरक्षा और व्यवस्था के लिए विशेष इंतजाम किए थे ताकि श्रद्धालु सुरक्षित रूप से इस पावन अवसर का आनंद ले सकें। यह घटना न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ावा देने वाली थी, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक बनी।
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