आज हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं जहाँ ज़्यादातर समय मोबाइल स्क्रीन, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स और डिजिटल इंटरैक्शन में बीतता है। तकनीक ने जहाँ एक ओर हमें दुनिया से जोड़ा है, वहीं दूसरी ओर यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रही है। खासकर सोशल मीडिया — जो कभी मनोरंजन और कनेक्शन का ज़रिया था — अब चिंता, अकेलेपन, आत्म-संशय और अवसाद का कारण बनता जा रहा है।
क्या सोशल मीडिया सच में ज़रूरत से ज़्यादा हानिकारक हो गया है?
शोध बताते हैं कि जो लोग सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताते हैं, उनमें आत्म-संतोष की भावना कम होती है और वे दूसरों की तुलना में अधिक चिंता और डिप्रेशन का शिकार होते हैं। इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर जैसी प्लेटफॉर्म्स पर अक्सर लोग अपनी ज़िंदगी का 'संपादित' या 'फिल्टर किया हुआ' संस्करण दिखाते हैं, जिससे देखने वाले को लगता है कि उनकी ज़िंदगी पर्याप्त नहीं है।
टीनएजर्स और युवाओं में विशेष रूप से असर
इस डिजिटल युग में युवा वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है। लाइक और कमेंट की दौड़ ने आत्म-मूल्य को बाहरी स्वीकृति से जोड़ दिया है। ट्रोलिंग, साइबरबुलिंग, ऑनलाइन तुलना और FOMO (Fear of Missing Out) जैसी चीज़ें मानसिक संतुलन को बिगाड़ रही हैं। कई किशोर अब बिना किसी वास्तविक कारण के भी अकेलापन, उदासी और सामाजिक अलगाव महसूस कर रहे हैं।
क्या डिजिटल डिटॉक्स है समाधान?
विशेषज्ञ अब डिजिटल डिटॉक्स, समय सीमित सोशल मीडिया उपयोग और सोशल मीडिया हेल्थ हाइजीन की बात कर रहे हैं। कुछ नए ऐप्स और फ़ोन फीचर्स अब स्क्रीन टाइम को मॉनिटर और कंट्रोल करने में मदद करते हैं। साथ ही, मस्तिष्क को विश्राम देने वाले मेडिटेशन, माइंडफुलनेस और आउटडोर एक्टिविटी को बढ़ावा देना भी जरूरी है।
समाधान सामूहिक प्रयास से ही संभव है
सोशल मीडिया कंपनियों को भी अपनी ज़िम्मेदारी निभानी होगी — जैसे कि निगेटिव कंटेंट पर नियंत्रण, एल्गोरिदम में पारदर्शिता, और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े रिसोर्स उपलब्ध कराना। साथ ही, पेरेंट्स, स्कूल और समाज को जागरूकता बढ़ानी होगी ताकि युवा एक संतुलित डिजिटल जीवन जी सकें।
निष्कर्ष:
डिजिटल युग में सोशल मीडिया पूरी तरह से हानिकारक नहीं है, लेकिन इसका अत्यधिक और अनियंत्रित उपयोग मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकता है। ज़रूरत है एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की, जहाँ तकनीक हमारे सहायक के रूप में काम करे, न कि मानसिक शांति छीनने वाले के रूप में।
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