भदोही में गंगा का जलस्तर लगातार चौथी बार बढ़ने से हालात बेहद चिंताजनक हो गए हैं। शहर और ग्रामीण इलाकों में पानी भर जाने से लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। समस्या केवल प्राकृतिक आपदा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रशासन की तैयारियों पर भी सवाल खड़े करती है। हर साल बाढ़ की आशंका जताई जाती है, लेकिन राहत शिविर समय पर स्थापित नहीं होते और न ही चेतावनी तंत्र सही तरह से सक्रिय किया जाता है। नतीजा यह है कि लोग नाव और अस्थायी इंतज़ामों के सहारे अपने परिवार और सामान को सुरक्षित स्थानों तक ले जाने को मजबूर हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन केवल बैठकों और घोषणाओं तक सीमित रह जाता है, जबकि ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते। बच्चों और बुजुर्गों की स्थिति सबसे नाज़ुक बनी हुई है। पीने के पानी से लेकर दवा और राशन तक की भारी किल्लत हो रही है। राहत दलों के मौके पर देर से पहुँचने की शिकायतें भी लगातार सामने आ रही हैं।
यह बाढ़ प्रशासन की तैयारियों और नीतियों पर बड़ा सवाल खड़ा करती है—क्या हर साल इसी तरह लोग तबाही का सामना करते रहेंगे या कभी ठोस और स्थायी समाधान निकल पाएगा?
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