गंगा नदी की बाढ़ ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों में तबाही मचाई है। भदोही, प्रयागराज, वाराणसी और संभल में नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे घर, सड़कें और खेत जलमग्न हो गए हैं। पानी के अचानक बढ़ने से लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी अस्त-व्यस्त हो गई है। कई लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं।
प्रशासन की तैयारियों में कमी स्पष्ट दिखाई दे रही है। राहत और बचाव कार्य धीमी गति से चल रहे हैं, जबकि प्रभावित लोग खुद नाव और ट्रैक्टर जैसी साधनों का सहारा लेकर अपने परिवार और संपत्ति की रक्षा कर रहे हैं। स्वास्थ्य और स्वच्छता का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है क्योंकि जलजमाव से पानी में कीटाणु फैलने का खतरा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह हर साल उठने वाला सवाल है कि क्या प्रशासन केवल बैठकों और बयानों तक सीमित रह जाएगा या वास्तविक समय में प्रभावी राहत और बचाव कार्य सुनिश्चित करेगा। बाढ़ प्रभावित जिलों में लोगों की मदद के लिए एनडीआरएफ, स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवक सक्रिय हैं, लेकिन संसाधनों की कमी और ट्रैफिक जाम राहत कार्य को चुनौती दे रहे हैं।
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