उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बार फिर सतर्कता की मिसाल पेश की है। बिहार और उत्तराखंड में फैल रहे *संक्रामक पशु रोगों* को गंभीरता से लेते हुए राज्य में *हाई अलर्ट* घोषित कर दिया गया है। यह फैसला पशुओं में तेजी से फैलने वाले संक्रमण को रोकने के उद्देश्य से लिया गया है, जिससे पशुधन की रक्षा की जा सके और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को कोई बड़ा नुकसान न पहुंचे।
सरकार ने राज्य की सीमाओं पर *विशेष जांच टीमें तैनात* कर दी हैं, जो पशु वाहनों की गहन जांच कर रही हैं। किसी भी संदिग्ध पशु की एंट्री को रोका जा रहा है। इसके अलावा, *सभी सीमाएं अस्थायी रूप से सील* कर दी गई हैं ताकि पड़ोसी राज्यों से संक्रमित पशुओं का प्रवेश न हो सके।
प्रदेश में फिलहाल *पशु मेलों, बाजारों और पशु वाहनों के संचालन पर पूर्ण रोक* लगा दी गई है। यह निर्णय संक्रमण के संभावित प्रसार को रोकने के लिए एहतियातन उठाया गया कदम है। पशु व्यापारियों और किसानों से अनुरोध किया गया है कि वे सरकारी आदेशों का पालन करें और किसी भी प्रकार की गैरकानूनी गतिविधि से बचें।
*प्रशासन ने ग्रामीणों और पशुपालकों से अपील की है* कि वे अपने क्षेत्र में किसी भी बीमार, असामान्य या संदिग्ध पशु की सूचना तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सालय या प्रशासनिक अधिकारी को दें। लक्षणों में बुखार, त्वचा पर चकत्ते, सुस्ती, या भोजन में अरुचि शामिल हो सकते हैं।
राज्य के पशुपालन विभाग ने भी पूरी सतर्कता बरतते हुए आवश्यक दवाओं, टीकाकरण और पशु देखभाल की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार के पशु रोग न केवल *पशुधन को खतरे में डालते हैं, बल्कि **दुग्ध उत्पादन, **कृषि आधारित आय, और **ग्रामीण आजीविका* को भी बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं।
सरकार की यह सक्रियता और समय रहते उठाया गया कदम प्रदेश में संक्रमण फैलने से रोकने में एक *महत्वपूर्ण भूमिका* निभा सकता है।
For more information, visit: https://youtu.be/PzhD7pKXwZA
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